Monday, March 10, 2014

आप जिसे वोट दें उससे कृपया ये सवाल पूछ लें ??जरुर पढ़ें


१) पाकिस्तान की ISI के प्लान के मुताबिक जो काफी पुराना है उन्हें भारत के बीच से पकिस्तान से बांग्लादेश तक एक रास्ता बनाना है जो भारत ने आज़ादी के समय नहीं दिया था तो इसके लिए इन्होने १ लाख से ज्यादा  कश्मीर में कश्मीरी पंडितों को मार डाला और वह से पाकिस्तानियों को बसाना शुरू किया और बांग्लादेश की ओर से करोडो बंगलादेशी घुसपैठियों को घुसा कर बॉर्डर्स पर जैसे बंगाल असाम राजस्थान आदि में बसना शुरू किया जो आज एक रास्ते के रूप में बनता जा रहा है जैसा पकिस्तान चाहता था ..............
इन बंगलादेशी घुसपैठियों पर उस पार्टी का रुख क्या है ?

2)अंग्रेजों ने भारत के किसानो की खेती को कमजोर करने तथा भारत की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के लिए गाये को या गौ वंश को कटवाना शुरू किया था आज़ादी के बाद भी भारत में ३६००० से ज्यादा कतलखाने हैं और भारत दुनिया में सबसे ज्यादा गौ मॉस एक्सपोर्ट करने वाला देश बन गया है जिससे किसान आत्महत्या कर रहे हैं तथा सारे देश को जहरीला अनाज खाना पड़ रहा है क्योंकि खेती गोबर,गोमूत्र की जगह जहरीले विदेशी रसायन प्रयोग हो रहे हैं ..................
क्या वो सरकार गौ वंश हत्या बंद करवाएगी ?

३) मेकाले की शिक्षा पद्दति के कारण भारत के लोगों को अब भी गुलामी की शिक्षा दी जाती है तथा वो भी विदेशी भाषा में ........
क्या वो सरकार भारतीय भाषाओँ में तथा भारत की शिक्षा पद्दति भारत के हिसाब से बना पाएगी ?

४)पकिस्तान यदि भारतीय सैनिकों के सर काटता है और चीन जमीन हड़पता है तो उस सरकार का रुख क्या होगा ? क्या वो दोस्ताना रवैया अपनाएगी अभी की तरह या करारा जवाब देगी ?

५)किसी भारतीय के दुसरे देश में कपडे उतरवाए जाते हैं या ऑस्ट्रेलिया में भारतियों की हत्या होती है , पकिस्तान में भारत के लोगो की हत्या तथा बलात्कार होते हैं , आर्ट ऑफ़ लिविंग का सेंटर जला दिया जाता है , रूस में भारतियों के कृष्णा भगवान् के मंदिर तोड़े जाते हैं
इस पर सरकार का क्या रुख है ?

६)कोई भारतीय भाई बहन यदि सलवार सूट , या कुरता पजामा पहन कर स्कूल जाना चाहते हैं या कभी त्यौहार पर मेंहदी लगा कर , या राखी पहन कर , या आटी बांध कर या तिलक लगाकर तो उन्हें कान्वेंट स्कुल बाहर निकाल देते हैं ......
क्या हिन्दुओं के साथ ये भेद भाव सरकार ख़त्म करवा पाएगी ?

७) हिन्दुओं के मंदिरों में चड़ने वाला चंदा दक्षिण भारत में सरकार अपने कब्जे में ले लेती है तथा उसे chiristan मिशनरीज़ को देती है जो इसे पैसा देकर धर्म परिवर्तन करने में प्रयोग में लाते हैं जिससे समाज में नफरत का भाव फैलता है ...............
क्या सरकार इन मिशनरीज़ को रोक पाएगी जिन्होंने केरला , तमिल नाडू , उत्तर पूर्वी राज्यों में बहुत से लोगों का धर्म परिवर्तन कर दिया तथा अब उन्हें भारत से अलग एक देश मांगने के लिए भड़का रहे हैं ?

८) अंध श्रद्धा निर्मूलन बिल संसद में है जिसमे लिखा है कोई भी दंगा हो उसमे सजा सिर्फ मेजोरिटी मतलब हिन्दुओं को ही होगी सारे साधुओं को जिनके पास लाइसेंस नहीं है गिरफ्तार कर लिया जाएगा ......
क्या इस हिन्दू विरोधी बिल को सरकार मान्यता देगी ?

9) विदेशी न्याय व्यवस्था , शिक्षा व्यवस्था , विदेशी तरह से खेती , पेप्सी ,कोकाकोला , मोनसेंटो , फोर्ड फाउंडेशन क्या सरकार इन सभी भारत विरोधी चीजो को रोक पाएगी या बदल पाएगी ?

10 ) क्या वो लोग सच में मेजोरिटी लाकर जो बोल रहे हैं उसे पूरा कर पायेंगे या देश को फिर एक अस्थिर तीसरे मोर्चे के हाथ में धकेल देंगे ?

११) क्या उनकी सरकार के पास रक्षा नीति   , विदेश नीति  , शिक्षा नीति  , तथा इन सबके अच्छे जानकार लोग हैं जो ISI  , CIA इन सब से निपट सकें ?

12) क्या सरकार के पास या उनकी पार्टी में इसे लोग हैं जिन्होंने गाँव को समझा है तथा रक्षा के विशेषज्ञ हों तथा टेलीकम्यूनिकेशन और बाकी सभी मंत्रालय संभाल सकें ?

13) क्या उनमे विरोधियों से सख्ती से निपटने तथा फैसले लेने की क्षमता है या फिर वो दूसरों पर इलजाम लगाते रहेंगे इनके कारण नहीं कर पाए ?

१४ ) उनकी पार्टी की नक्साल्वादियों के लिए बोडो , उल्फा , खालिस्तान , LTTE , कश्मीरी अलगाववाद पर क्या नीतियाँ हैं ?

15 ) भारतीय उद्योगपतियों  का समर्थन करते हैं या विदेशी पूंजीपतियों के पैसे से चलते हैं ?


इन सभी सवालों के जवाब अपने आप से और उस पार्टी के उम्मीदवार से पूछिए तथा जो आपको दिल से लगे देश के लिए हितमे है उसी को वोट दें ?

वोट जरुर करें ताकि कोई भी राष्ट्रविरोधी ताकत सत्ता में ना आ सके तथा देशभक्तों को जो इन मुद्दों पर समर्थन करते हैं सत्ता में आने से कोई रोक ना सके

जय हिन्द जय भारत
आर्य शुभम वर्मा 

Saturday, March 8, 2014

सोते समय पैर को उत्तर दिशा की ओर क्यों रखना चाहिए ? जानिए वैज्ञानिक कारण ?

"वास्तु शास्त्र के अनुसार सोते समय पैर को उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए" जानिये क्यों :-


१.मनुष्य के सिर सकारत्म उर्जा का स्त्रोत है ,इसे चुम्बकीय उत्तर माना गया है |

।२.जब हम उत्तर में सिर करके सोते हैं तो हमारा सिर और उत्तर दिशा की सकारात्मक उर्जा एक दुसरे का प्रतिरोध [प्रतिकर्षित] करते हैं ।

३.इस प्रतिरोध के फलस्वरूप रात को सोते समय नीद में बाधा उत्पन्न होता है ,नीद गहरी नही होती ,दिन भर हाथ पैर मे दर्द की शिकायत लोग करते हैं ।

३.सनातन धर्म के अनुसार मृतक को उत्तर दिशा में सिर रखकर दरवाजे के पास सुलाने का विधान है

।४.इसलिए उत्तर दिशा में सोने से हमारी प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और बीमार होने की सम्भावना बड जाती है ।

५.माँ पार्वती जब स्नान कर रही थी उस समय नवनिर्मित गणेश जी द्वार पर लोगों को अंदर आने से मना कर रहे थे ,भगवान शिव को अंदर आने से मना करने पर भगवान शिव ने गणेश जी सिर काट दिया । माँ पार्वती के आग्रह पर --भगवान शिव ने अपने अनुचर को आदेश दिया कि जो भी इस पृथ्वी पर उत्तर दिशा में सिर करके सो रहा हो उसका सिर काटकर ले आवो ,उस युग में लोग शास्त्र के अनुकूल शयन करते थे इसलिए कोई भी व्यक्ति उत्तर दिशा की ओर सिर करके सोते नही मिला । अंत में अनुचरों को हाथी का एक बच्चा उत्तर दिशा में सिर करके सोते मिला ,हाथी के उस बच्चे का सिर काटकर भगवान गणेश जी को जीवित किया गया । हाथी के बच्चे का सिर इसलिए कटा क्योंकि वो उत्तर दिशा में सिर करके सो रहा था , कलयुग में क्यों हम शिव जी अनुचरों को अपने घर आमंत्रित करें --

--६.इसलिए दक्षिण में सिर करके सोयें इससे भगवान शिव प्रसन्न ही होंगे

Friday, March 7, 2014

रामायण के प्रमुख पात्र एवं उनका परिचय


ये जानकारी सिर्फ इसलिए दी जा रही है जिससे की आप रामायण को आसानी से और अच्छे से समझ सकें :-


दशरथ – रघुवंशी राजा इन्द्र के मित्र कोशल के राजा तथा राजधानी एवं निवास अयोध्या ।
कौशल्या – दशरथ की बङी रानी, राम की माता ।
सुमित्रा - दशरथ की मझली रानी, लक्ष्मण तथा शत्रुध्न की माता ।
कैकयी - दशरथ की छोटी रानी, भरत की माता ।
सीता – जनकपुत्री, राम की पत्नी ।
उर्मिला – जनकपुत्री, लक्ष्मण की पत्नी ।
मांडवी – जनक के भाई कुशध्वज की पुत्री, भरत की पत्नी ।       
श्रुतकीर्ति - जनक के भाई कुशध्वज की पुत्री, शत्रुध्न की पत्नी ।
राम – दशरथ तथा कौशल्या के पुत्र, सीता के पति ।  
लक्ष्मण - दशरथ तथा सुमित्रा के पुत्र, उर्मिला के पति ।
भरत – दशरथ तथा कैकयी के पुत्र, मांडवी के पति ।
शत्रुध्न - दशरथ तथा सुमित्रा के पुत्र, श्रुतकीर्ति के पति, मथुरा के राजा लवणासूर के संहारक ।
शान्ता – दशरथ की पुत्री, राम भगिनी ।
बाली – किश्कंधा (पंपापुर) का राजा, रावण का मित्र तथा साढ़ू, साठ हजार हाथीयो का बल ।
सुग्रीव – बाली का छोटा भाई, जिनकी हनुमान जी ने मित्रता करवाई ।
तारा – बाली की पत्नी, अंगद की माता, पंचकन्याओ मे स्थान ।
रुमा – सुग्रीव की पत्नी, सुषेण वैध की बेटी ।
अंगद – बाली तथा तारा का पुत्र ।  
रावण – ऋषि पुलस्त्य का पौत्र, विश्रवा तथा पुष्पोत्कटा का पुत्र ।
कुंभकर्ण – रावण तथा कुंभिनसी का भाई, विश्रवा तथा पुष्पोत्कटा का पुत्र ।       
कुंभिनसी – रावण तथा कूंभकर्ण की भगिनी, विश्रवा तथा पुष्पोत्कटा की पुत्री ।
विश्रवा - ऋषि पुलस्त्य का पुत्र, पुष्पोत्कटा-राका-मालिनी का पति ।
विभीषण – विश्रवा तथा राका का पुत्र, राम का भक्त ।
पुष्पोत्कटा – विश्रवा की पत्नी, रावण, कुंभकर्ण तथा कुंभिनसी की माता ।
राका – विश्रवा की पत्नी, विभीषण की माता ।
मालिनी - विश्रवा की तीसरी पत्नी, खर-दूषण त्रिसरा तथा शूर्पणखा की माता । 
त्रिसरा – विश्रवा तथा मालिनी का पुत्र, खर-दूषण का भाई एवं सेनापति ।
शूर्पणखा - विश्रवा तथा मालिनी की पुत्री, खर-दूसन एवं त्रिसरा की भगिनी, विंध्य क्षेत्र मे निवास ।
मंदोदरी – रावण की पत्नी, तारा की भगिनी, पंचकन्याओ मे स्थान ।
मेघनाद – रावण का पुत्र इंद्रजीत, ल्क्ष्मन द्वारा वध । 
दधिमुख – सुग्रीव का मामा ।
ताङका – राक्षसी, मिथिला के वनो मे निवास, राम द्वारा वध ।
मारीची – ताङका का पुत्र, राम द्वारा वध (स्वर्ण मर्ग के रूप मे ) ।
सुबाहू – मारीची का साथी राक्षस, राम द्वारा वध ।
सुरसा – सर्पो की माता ।
त्रिजटा – अशोक वाटिका निवासिनी राक्षसी, रामभक्त, सीता से अनुराग ।
प्रहस्त – रावण का सेनापति, राम-रावण युद्ध मे मृत्यु ।   
विराध – दंडक वन मे निवास, राम लक्ष्मण द्वारा मिलकर वध ।
शंभासुर – राक्षस, इन्द्र द्वरा वध, इसी से युद्ध करते समय कैकेई ने दशरथ को बचाया था तथा दशरथ ने वरदान देने को कहा ।
सिंहिका – लंका के निकट रहने वाली राक्षसी, छाया को पकङकर खाती थी ।
कबंद – दण्डक वन का दैत्य, इन्द्र के प्रहार से इसका सर धङ मे घुस गया, बाहें बहुत लम्बी थी, राम-लक्ष्मण को पकङा, राम- लक्ष्मण ने गङ्ढा खोद कर उसमे गाङ दिया ।
जामबंत – रीछ थे, रीछ सेना के सेनापति ।
नल – सुग्रीव की सेना का वानरवीर ।
नील – सुग्रीव का सेनापति जिसके स्पर्श से पत्थर पानी पर तैरते थे, सेतुबंध की रचना की थी ।  
नल और नील – सुग्रीव सेना मे इंजीनियर व राम सेतु निर्माण मे महान योगदान । (विश्व के प्रथम इंटरनेशनल हाईवे “रामसेतु” के आर्किटेक्ट इंजीनियर)
शबरी – अस्पृश्य जाती की रामभक्त, मतंग ऋषि के आश्रम मे राम-लक्ष्मण-सीता का आतिथ्य सत्कार ।
संपाती – जटायु का बङा भाई, वानरो को सीता का पता बताया ।
जटायु – रामभक्त पक्षी, रावण द्वारा वध, राम द्वारा अंतिम संस्कार ।
गृह – श्रंगवेरपुर के निषादों का राजा, राम का स्वागत किया था ।
हनुमान – पवन के पुत्र, राम भक्त, सुग्रीव के मित्र ।
सुषेण वैध – सुग्रीव के ससुर ।    
केवट – नाविक, राम-लक्ष्मण-सीता को गंगा पार करायी ।
शुक्र-सारण – रावण के मंत्री जो बंदर बनकर राम की सेना का भेद जानने गये ।
अगस्त्य – पहले आर्य ऋषि जिन्होने विन्ध्याचल पर्वत पार किया था तथा दक्षिण भारत गये ।
गौतम – तपस्वी ऋषि, अहल्या के पति, आश्रम मिथिला के निकट ।
अहल्या - गौतम ऋषि की पत्नी, इन्द्र द्वारा छलित तथा पति द्वारा शापित, राम ने शाप मुक्त किया, पंचकन्याओ मे स्थान ।
ऋण्यश्रंग – ऋषि जिन्होने दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ कटाया था ।
सुतीक्ष्ण – अगस्त्य ऋषि के शिष्य, एक ऋषि ।
मतंग – ऋषि, पंपासुर के निकट आश्रम, यही शबरी भी रहती थी ।
वसिष्ठ – अयोध्या के सूर्यवंशी राजाओ के गुरु ।
विश्वमित्र – राजा गाधि के पुत्र, राम-लक्ष्मण को धनुर्विधा सिखायी थी ।
शरभंग – एक ऋषि, चित्रकूट के पास आश्रम ।
सिद्धाश्रम – विश्वमित्र के आश्रम का नाम ।
भरद्वाज – बाल्मीकी के शिष्य, तमसा नदी पर क्रौच पक्षी के वध के समय वाल्मीकि के साथ थे, माँ-निषाद’ वाला श्लोक कंठाग्र कर तुरंत वाल्मीकि को सुनाया था ।
सतानन्द – राम के स्वागत को जनक के साथ जाने वाले ऋषि । 
युधाजित – भरत के मामा ।
जनक – मिथिला के राजा ।
सुमन्त्र – दशरथ के आठ मंत्रियो मे से प्रधान ।
मंथरा – कैकयी की मुंह लगी दासी, कुबङी ।
देवराज – जनक के पूर्वज-जिनके पास परशुराम ने शंकर का धनुष सुनाभ (पिनाक) रख दिया था ।
 अयोध्या  – राजा दशरथ के कोशल प्रदेश की राजधानी, बारह योजना लंबी तथा तीन योजन चौङी, नगर के चारो ओर ऊँची व चौङी दीवारों व खाई थी, राजमहल से आठ सङके बराबर दूरी पर परकोटे तक जाती थी ।  

अब इन सभी ने क्या क्या किया था यह जानने के लिए पढ़िए रामायण और यदि आप सोच रहे हैं रामायण सिर्फ एक है तो आप गलत हैं वाल्मीकि रामायण , तुलसीदास रामायण , कंबन रामायण आदि कई ऋषियों ने रामायण को अपने शब्दों में लिखा है | सभी पढ़कर देखिये ....

आर्य शुभम वर्मा 

भारत के ऋषियों द्वारा किये गए वैज्ञानिक आविष्कार


 जब यूरोपीय देशों के लोग जंगलों में घुमन्तु की जिन्दगी जी रहे थे, पूरी दुनिया अज्ञानता के अँधेरे में सोयी हुयी थी, उस समय भारत के लोग ऐसी कार्यशालाओं का व्यापार (Trade of workshops) चला रहे थे जिसमें धातु-निष्कर्षण (Mettalurgy), वस्त्र रंजन (Dyeing of Fabric), औषधि-निर्माण (Drugs Formation), शल्य-चिकित्सा (Surgery) जैसे काम हुआ करते थे।

यहाँ पर मैं वैदिक भारत द्वारा किये गए महान वैज्ञानिक आविष्कारों और उनके आविष्कारकों में से कुछ का वर्णन कर रहा हूँ:-

परमाणु सिद्धांत (Atomic Theory):
600 ईसा पूर्व (600 BC) कनद ऋषि ने परमाणु(Atom) का सिद्धांत दिया था। कणद का कथन है कि-
"सभी वस्तुएं परमाणु(Atoms) से बनी हुयी हैं, विभिन्न परमाणु आपस में जुड़ कर अणु(Molecule) का निर्माण करते हैं"
उन्होंने ये कथन John Dalton से 2500 वर्ष पहले दिया था।
इसके आगे कणद परमाणुओं की Dimensions, गतियों और आपस में रासायनिक अभिक्रियाओं(Chemical Reactions)  का वर्णन करते हैं।

Acharya Kanad: Atomic Theory was given in 600 BC

गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत (Law of Gravity):
400-500 ईसा पूर्व भाष्कराचार्य ने अपनी किताब सूर्य-सिद्धांत में ये कथन लिखा था-
" वस्तुयों का पृथ्वी पे गिरने का कारण, पृथ्वी द्वारा उन पे लगने वाला आकर्षण बल है। पृथ्वी में ये क्षमता उसके अत्यधिक गुरुत्व (Mass) के कारण आती है।"
उन्होंने ये कथन Sir Issac Newton से लगभग 1200 वर्ष पहले दिया था।
सूर्य सिद्धांत में भाष्कराचार्य लिखते हैं-
"पृथ्वी, ग्रह, चंद्रमा, सूर्य आदि इस गुरुत्वाकर्षण के कारण अपने कक्षक में बने रहते हैं"

Bhashkaracharya: Law of Gravitation was given in 500 BC

धातुकर्म (Metallurgy):
10वीं सदी में नागार्जुन ने अपनी किताब रसरत्नाकर Rasaratnanakara में बहुत से धातुकर्म विधियों के बारे में लिखा है जैसे:
  • विभिन्न धातुओं जैसे सोना,चांदी,तम्बा और टिन का उनके अयस्कों (Ores) से निष्कर्षण।
  • द्रवीकरण(liquefaction),आसवन(distillation),उर्ध्वपातन(sublimation) आदि विधियों का वर्णन।
  • विभिन्न रस (Liquid Metal) जैसे पारा (Mercury) का निर्माण।
धातुकर्म के क्षेत्र में भारत 5000 वर्षों से अधिक समय तक विश्व-गुरु रहा है।
सोने के आभूषण 3000 BC से पहले उपलब्ध थे।कांसे और पीतल के मिले बर्तनों का अनुमान 1300 BC  लगाया गया है।
जस्ता (जिंक) को इसके अयस्क (Ore) से आसवन विधि द्वारा निकालना भारत में 400 BC में ज्ञात था, European William Campion से2000 वर्ष पहले।
ताम्बे की मुर्तियों की आयु का अनुमान 500 BC लगाया गया है।
दिल्ली में एक लौह स्तम्भ है जो 400 BC पुराना है और उस पर आज तक जंग या क्षय का कोई निशान नहीं है।

Nagarjuna: Invention of Mettalurgy
Bouddhayan: Great mathematician of 600 BC
पाइथागोरस प्रमेय या बौद्धायन प्रमेय (Pythagorean Theorem or Baudhayana Theorem):
ईसा से 6 सदी पूर्व बौद्धायन ने अपनी किताब बौद्धायन सुल्ब सूत्र में Baudhayana Sulba Sutra में ये कथन लिखा है:
dīrghasyākṣaṇayā rajjuḥ pārśvamānī, tiryaḍam mānī,
किसी समकोण त्रिभुज में दीर्घ-अक्ष(Hypotenuse) का वर्ग, रज्जू(Base) और पार्श्ववमिनी(Hight) के वर्ग के योग के बराबर होता है।

पाई π का मान (The Value of Pi π):
बौद्धायन ने वृत की परिधि और व्यास का अनुपात 3 बताया था।लेकिन उनके बाद 499 AD में आर्यभट्ट ने π के मान की गणना दशमलव के 4 स्थान तक की (3.1416).
825 AD में एक अरबी गणितज्ञ मुहम्मद इब्ना मूसा ने ये कहा कि ये मान भारतियों के द्वारा दिया गया है।



शून्य की अवधारणा (The Concept of 'Zero'):
Zero की अवधारणा शुरूआती संस्कृत लेखों में 'शून्य' के रूप में आती है और पिंडाला के 'चंदा: सूत्र' (200 AD) में भी समझायी गयी है। भ्रह्मगुप्त के 'ब्रह्म फुता सिद्धांत' (400 AD) में शून्य को विस्तार से समझाया गया है। भारतीय गणितज्ञ भाष्कराचार्य ने सिद्ध किया की X को 0 से विभाजित करने पर अनंत (Infinty) आता है जिसको फिर कितना ही विभाजित करें अनंत ही रहता है।
लेकिन शून्य के महत्व के आविष्कार का श्रेय आर्यभट्ट को जाता है।

Aryabhatt: Great Mathemeticial, who has given Concept of Decimal and Zero
दशमलव प्रणाली (Decimal System):

दशमलव के आविष्कार का भी मुख्य श्रेय आर्यभट्ट को दिया जाता है। उन्होने हर गणना का आधार  10 को बनाया जिस से बड़ी से बड़ी संख्या भी 10 की घात के रूप में आसानी से व्यक्त की जाने लगीं।
गणित की वैदिक जडें (Vedic roots of Mathematics):
अंग्रेजी का शब्द Geometry संस्कृत के शब्द 'ज्यामिति' से आया हुआ है।जिसका अर्थ होता है 'पृथ्वी का मापन'.
इसी तरह से अंग्रेजी का शब्द 'Trignometry' भी संस्कृत के शब्द 'त्रिकोणमिति' से बना है।
युक्लिड का निर्माण 300 BC में Geometry के अविष्कार के बाद हुआ जबकि भारत में ज्यामिति का उद्भव 1000 BC में ही आग वेदियों (fire altars) के निर्माण से हो गया था  "चतुर्भुज में वर्ग का निर्माण".
सूर्य सिद्धांत में त्रिकोणमिति का प्रखर वर्णन किया है, जो कि 1200 साल बाद यूरोप में 1600 इसवी में Briggs द्वारा दिया गया।
भाष्कराचार्य ने 1150 AD में अपनी प्रसिद्ध किताब 'सिद्धांता-सिरोमन' लिखी,जिसके चार भाग हैं:
  • लीलावती(Arithmetic)
  • गोलाध्याय (Celestial Glob)
  • बीजगणित (Treatise of Algebra)
  • ग्रहगणित (Mathematics of Planets)
भारत से ही sinƟ funtion 8वीं सदी में अरब में पहुँचा। भारत में sinƟ को 'ज्या' कहते थे जो कि अरब में Jiba / Jyb में अनुवादित हो गया। अरबी में Jaib शब्द का मतलब होता है महिला-पोशाक का गले के पास से खुला होना, Jaib शब्द का लैटिन में अनुवाद हुआ Sinus, जिसका अर्थ होता है पोशाक में तह या Curve. और इस प्रकार अंत में Sine (sinƟ) शब्द बना।



10 की घात 53 की गणना (Raising 10 to the Power of 53!):
 आज की गणित में 10 की अधिकतम घात के लिए उपसर्ग (Prefix) है- 'D' दस की घात 30 (from Greek Deca).
जबकि 100 BC  पहेल भारतियों ने 10 की घात 53 तक के लिए सटीक नामों का आविष्कार कर लिया था।
1= एकं =1, 10 था दशकं , 100 था  शतं  (10 to the power of 10), 1000 tha सहस्रं  (10 power of 3), 10000 था  दशासहस्रम  (10 power of 4), 100000 था  लक्शः  (10 power of 5), 1000000 था दशालक्शः (10 power of 6), 10000000 था कोटिः  (10 power of 7)……विभुतान्गामा  (10 power of 51), तल्लाक्षनाम  (10 power of 53).
 अंकों को शब्दों में व्यक्त करना (The Word-Numeral System):

word-numeral system, अंक को 10 के गुणांक के रूप में लिखते हुए आगे बढ़ता है। जैसे संख्या 60799 को संस्कृत में इस तरह लिखते हैं-"सस्टीम सहस्र सप्त सतानी नवाटीम नवा"(sastim (60), shsara (thousand), sapta (seven) satani (hundred), navatim (nine ten times) and nava (nine))इस system के नियम इस प्रकार है:
1.शुरू के नौ अंकों के नाम-eka, dvi, tri, catur, pancha, sat, sapta, asta, nava
2.अगले नौ अंको का समूह, उपर्युक्त प्रत्येक अंक को 10 से गुना करके प्राप्त होता है-dasa, vimsat, trimsat, catvarimsat, panchasat, sasti, saptati, astiti, navati
3. इसी प्रकार अगला समूह 10 के अगले गुणांक के रूप में प्राप्त होता है-satam sagasara, ayut, niyuta, prayuta, arbuda, nyarbuda, samudra, Madhya, anta, parardha….

सभी ग्रहों की कक्षाओं का केंद्र सूर्य (Heliocentric Solar System):
प्राचीन भारतीय वो पहले लोग थे जिन्होंने सूर्य के Heliocentric System का सुझाव दिया.
उन्होंने  प्रकाश का वेग 1,85,016 miles/sec  परिकलित किया.
उन्होंने पृथ्वी का चन्द्रमा के बीच की दूरी भी परिकलित की- चन्द्रमा के व्यास का 108  गुना.
पृथ्वी और सूर्य के मध्य दूरी का अनुमान लगाया- पृथ्वी के व्यास का 108 गुना.
ये सब बातें महान वैज्ञानिक गैलिलिओ से हजारों साल पहले की हैं.
                   

पृथ्वी को सूर्य-कक्षा में लगाने वाला समय (Time taken for Earth to orbit Sun):
भारतीय गणितग्य भाष्कराचार्य ने अपने निबंध सूर्य-सिद्धांत में, पृथ्वी द्वारा सूर्य के चारों ओर  एक  चक्कर पूरा करने में लगने वाले समय का दशमलव के नौंवें स्थान तक सही मान बताया (365.258756484 दिन).
भाष्कराचार्य के सैकड़ों वर्ष बाद 5वीं में astronomer Smart ने इसी मान की गणना की।

आज जिन विदेशियों को भारतीय पढ़े लिखे मुर्ख पूजते हैं उन्ही के ये कथन हैं :-

We owe a lot to the Indians, who taught us how to count, without which no worthwhile scientific discovery could have been made.
-Albert Einstein
हम भारतियों के प्रति हमेशा कृतज्ञ रहेंगे जिन्होंने हमें गणना करना सिखाया, उसके बिना किसी वैज्ञानिक आविष्कार का होना संभव नहीं था।
-अलबर्ट आइन्स्टीन 
If there is one place on the face of earth where all dreams of living men have found a home from the very earliest days when man began the dream of existence, it is India.
-French scholar Romain Rolland
अगर दुनिया में ऐसा कोई स्थान है, जिसे मानव के उन सारे सपनों का घर कहा जाये,जो सपने मानव बहुत शुरुआत से अस्तित्व के लिए देखा करता था, तो वो स्थान है भारत।
-फ़्रांसीसी विद्वान् रोमेन रोलांड

Wednesday, March 5, 2014

महाभारत में चक्रव्यूह का वैज्ञानिक विश्लेषण




चक्रव्यूह क्या था, और क्यूँ चक्रव्यूह युद्ध का निर्णय कर सकता था सूर्य, चन्द्र, मंगल, ब्रहस्पति, शनि, बुध, शुक्र, राहू, और केतु, जो नवग्रह हैं उसकी गति के अनुपात मैं व्यूह की रचना को चक्रव्यूह कहते हैं; सिर्फ इतना ही नही वेदांत ज्योतिष के अनुसार बारह खंड या भाग/घर का क्रमांक भी निश्चित होता है| चक्रव्यूह नवग्रह की उस समय की दिशा से ठीक विपरीत दिशा मैं चलता है, और पूरे सौर्यमण्डल मैं उसका फैलाव होता है| उसकी मार का कोइ तोड़ नहीं होता| वह बारह भाग या गृह मैं विभाजित करके बनता है, तथा उनका स्वरुप वही होता है, जो वेदांत ज्योतिष मैं, १ से १२ गृह का होता है, अथार्त : १. लग्न, युद्ध छेत्र मैं उसको कहा जाएगा, केंद्रीय दिशा निर्देश मंच, २. कुटुंब या धन, जिसका अर्थ.. हुआ, तैनात और रिज़र्व सेना, अस्त्र, ३. संचार, ४. घर, अर्थ.. सेना जो सुरक्षा कवच के अंदर है, ५. उच्च शिक्षा, अर्थ.. आधुनिकतम अस्त्र के संचार का केंद्र ६. शत्रु, अर्थ.. सेना जो उस समय शत्रु से युद्ध लड़ने के लिए तैनात है ७. बहारी संपर्क और सम्बन्ध, अर्थ.. सेना, अस्त्र जो शत्रु से युद्ध कर रहे हैं, ८. जीवन, मृत्यु और कारण ९. से १२ ... वास्तव मैं ८ से १२ परिणाम है १ से ७ के | वेदान्त ज्योतिष का यह आवश्यक सिद्धांत है कि हर मनुष्य अपने जन्म के साथ पहले ६ घरो का ज्ञान और कर्म शक्ति अपने साथ लाता है, और यहाँ पर आ कर मनुष्य शिक्षा से मात्र उस दिशा मैं निपुर्णता प्राप्त करता है| पहले तो यह समझ लें की अर्जुन अपने ही सौर्यमण्डल मैं बहुत दूर युद्ध करने गए थे जहाँ संचार की व्यवस्था भी नहीं थी, चुकी पांडव पक्ष मैं और किसी को चक्रव्यूह का तोड़ मालूम नहीं था, इसलिए इस युद्ध से कौरव की विजय निश्चित थी, ऐसी सोच कौरव पक्ष मैं अवश्य थी, और उसी जोश के साथ इस व्यूह को क्रियान्वित करा गया| चक्रव्यूह की रचना होई है, और किसी को इसका ज्ञान नहीं है, यह सोच कर ही पांडव पक्ष के हाथ पैर फूल गए, वे यह भी भूल गए की युद्ध मैं नायको का जोश और उत्साह आवश्यक है| युद्ध मैं शक्ति, जोश और युक्ति सबकी ही आवश्यकता होती हैं, और प्राय युक्ती के आभाव मैं शक्ती, धैर्य/जोश युद्ध भूमी मैं काम आ जाता है| उन्होंने बार बार व्यूह को भेदने का प्रयास भी करा, लेकिन निराशा हाथ लगी| हार का डर महावीरो तक से क्या क्या करा देता है, यह चक्रव्यूह युद्ध से हर व्यक्ती को सीखना अवश्य चाहिए| निराश पांडव शिविर हार के बारे मैं सोचने लगा| अभिमन्यु यह सब देख रहे थे, उन्हें शिक्षा के अतिरिक्त युद्ध मैं प्रेरणा, साहस शौर्य का प्रदर्शन कितना आवश्यक है, इसकी शिक्षा स्वंम श्री कृष्ण से मिली थी| उन्हे यह भी मालूम था की चक्रव्यूह वेदान्त ज्योतिष के गृह के स्वरुप अनुकूल ही निर्मित होता है, इसलिए पूरे दिन मैं ६ घर ही सामने आयेंगे, जिन्हे अगर खंडित कर दिया गया, तो चक्रव्यूह खंडित हो जाएगा| युवा वीर ने इस बात को कोइ महत्त्व नहीं दिया कि इसके उपरान्त वे ज्ञान के आभाव मैं व्यूह से बाहर निकल पायेंगे की नहीं| उन्होंने अपने ताऊ और चाचा से बात करी, बताया, या यह भी कह सकते हैं, की सत्य को ज़रा खीच कर ताऊ और चाचा को यह समझा दिया कि पहले ६ गृह के बारे मैं तो उन्हें गर्भ से ही ज्ञान है, जोश मैं आकर भीम बोले की सातवे का मार्ग तो वे अपनी गदा से बना लेंगे| मरता क्या ना करता; तय हुआ, अभिमन्यु के नेत्रित्व मैं युद्ध के लिए पांडव पक्ष निकल पड़ा, लकिन सुबह की बार बार की हार अपने मस्तिक्ष से नहीं निकाल पाए, और अभिमन्यु तो चक्रव्यूह मैं प्रवेश कर गए, लकिन बाकी मुख्य पांडव असमर्थ रहे| फिर से समझ लें, न तो अभिमन्यु को व्यूह कैसे भेदा जाएगा, इसका ज्ञान था, और ना ही पांड्वो को, लकिन अभिमन्यु मैं साहस था, और इस साहस के कारण उनके लिए इतना ज्ञान ही पर्याप्त था, की वेदान्त ज्योतिष के अनुसार सारे मुख्य गृह/भाग स्वंम दिन भर मैं उनके सामने आयेंगे, और आगे अपने शौर्य/वीरता से वे मार्ग निश्चित करेंगे | पूरे दिन वीर अभिमन्यु, और उनकी टोली भीषण युद्ध करती रही, और वास्तव मैं शाम होते होते सातवे घर मैं प्रवेश करगई| युद्ध धीरे धीरे उग्र होता जा रहा था| युक्ती के आभाव मैं अभिमन्यु यह समझ रहे थे की निकलना आसन नहीं होगा, उन्होंने महत्वपूर्ण सैनिक ठीकाने विध्वंस करने शुरू कर दिए| अब उन्हें ना तो मौत का डर था, ना ही हार का| उन्होंने इतना भीषण युद्ध करा की कौरव युद्ध के सारे नियम भूल कर एक साथ अभिमन्यु से भीड़ गए| लकिन अभिमन्यु के सामने एक संकल्प था; उनकी मार मैं चन्द्रमा पर कौरवो के ठिकाने आ गए, और उन्होंने आधुनिकतम अस्त्रों का प्रयोग करके सबको खंडहरों मैं बदल दिया| आज भी कुछ विश्व स्तर के विज्ञानिक इस बात को मानते हैं, कि चन्द्रमा मैं कुछ खंड मानव निर्मित हैं जो अत्यंत शक्तिशाली परमाणु अस्त्रों द्वारा करे गए हैं, और संभवत: महाभारत काल के हैं
LINKS: SOME PRACTICAL STUDY REFERENCES Similarity of Three Possibly Artificial Structures on the Moon & Mars 
चाँद पर कुछ खड्ड मानव निर्मित हैं, जो महाभारत युद्ध के अवशेष हैं इसका एक प्रमाण यह भी है, की इतने भीषण आक्रमण के पश्च्यात चन्द्रमा ने अपनी धुरी सूर्य के सन्दर्भ मैं बदल ली और सूर्य ग्रहण एक मॉस पहले हो गया, जिसके कारण जयदत्र को मारने मैं अर्जुन को सहायता मिली| अनेक यानो से एक साथ आक्रमण बार बार हो रहा था, कौरव युद्ध के सारे नियम भूल चुके थे| अभिमन्यु बुरी तरह से घायल हो गए थे, और युद्ध के नियम के अनुसार उन्हें पृथ्वी पर उपचार के लिए लाया जा रहा था, की कौरवो के मुख्य नायको ने उन्हें घेर लिया| अत्यंत घायल अवस्था मैं जो भी उनकी हाथ मैं आया, उसी से वे लड़ते रहे, और अंत मैं वे गिर पड़े| तब जयद्रथ ने उनके सर पर वार करा; अभिमन्यु वीर गति को प्राप्त हो गए| कौरव वीरो ने, जिसमें द्रोणाचार्य, कर्ण भी शामिल थे, ने शव के चारो और नृत्य करा, जो किसी भी सभ्यता मैं शर्मनाक माना जाएगा| १००० वर्ष की गुलामी के बाद भारत आज़ाद हुआ है, लकिन हमारे धर्मगुरु, हमारा प्राचीन गौरवपूर्ण इतिहास है, उसका लाभ हमें नहीं देना चाहते, क्यूँकी तब हिन्दू समाज को कर्मठ बनाना होगा, जो की इन धर्म गुरुजनों की दुकानदारी बंद करा देगा| निर्णय आपके ऊपर है, क्या हिन्दू समाज को दुबारा गुलाम बनाना है, या विश्व का शक्तिशाली समाज?